“वो लोग “खामोशी” को पसंद करते हैं!!
“वो लोग “खामोशी” को पसंद करते हैं!!जिन्होंने “शोंर” “से चोटें” खाई हो!!
“वो लोग “खामोशी” को पसंद करते हैं!!जिन्होंने “शोंर” “से चोटें” खाई हो!!
मुश्किल है समझाना इसको…दिल के पास दिमाग़ नहीं है…!!
तकलीफों से लदे तजुर्बे…अक्सर बेजुबां रहते हैं…!!
मतलबी दुनिया के लोग खड़े थे, हाथों में पत्थर लेकर…मैं कहां तक भागता, शीशे का मुकद्दर लेकर…
इंतजार की हद भी बड़ी अजीब होती है•ना दरवाजा बंद होने देती है ना आंखें •
तलब ऐसी कि सांसों में समा लूं तुम्हें…और किस्मत ऐसी कि देखने को भी मोहताज हूँ मैं..
हम पहाड़ों को रौंद आए थे…जब सलीक़ा नहीं था चलने का…!!